Friday, December 23, 2011

ये दुनिया?



सिक्को की खनखनाहट से गूँज रही ये दुनिया
अमीरों के होते हुए भी कैसी गरीब है ये दुनिया
हमसे तो अच्छे वोह गरीब है इस दुनिया में
दो वक़्त की रोटी से रोशन है जिनकी दुनिया

हर वक़्त रिश्तों को पैसे में तौलती है ये दुनिया
तराजू के दोनों पालों में कैसी उलझी है ये दुनिया
व्यापार है या जीवन, इस असमंजस में फसी है ये दुनिया
हर पल चीजों का मोल लगाने में लगी है ये दुनिया

इंसान पिघला कर पत्थर बनाती ये दुनिया
९९ के फेर में ऐसी मदमस्त है ये दुनिया
कुछ ऐसा कर जाना है की फिर न भूले ये दुनिया
इतिहास के पन्ने लिखने में कुछ तल्लीन सी है ये दुनिया

- साहिल 

Wednesday, November 30, 2011

जुदा होकर उससे जुड़ा जुड़ा सा कही



शाख पे लटकते पत्ते की तरह
चंद लम्हों की सोहबत ही सही
टूट कर जुदा हो जायेंगे तुमसे
ग़म हमे अब इस बात का नहीं

दर्द गर हुआ अलग होने में
ये समझना मैं बेवफा ही सही
कभी वक़्त मिला तो बताएँगे
खलिश थी ज़ेहन में, सुकून की छाया नहीं

जाने कितने मौसम देखे
एक मौसम खिंसा का भी सही
कोई अब ये पयाम न पंहुचा दे उस तक
जुदा होकर उससे जुड़ा जुड़ा सा कही

- साहिल 

Thursday, September 8, 2011

बंद है आखें इसबार और सपने अधर से खाली...



बेसबर सुबह का इंतज़ार नहीं अब
ख्यालों की शफक है इतनी सारी,
बाँहों में लपेटे अरमानो को
याद आई वोह शाम न भुलाने वाली

खिल उठे फूल उन यादों की
कह गए भवरें कानो में बातें सारी
हवाओ में खुशबू ऐसी बहने लगी
तितलियाँ यादों की उड़ने लगी डाली डाली

ऐसी नींद में सोया हूँ, अब न जगाओ मुझे
बंद है आखें इसबार और सपने अधर से खाली
गुज़रे वक़्त के पन्ने पलट पलट कर
बुन रहा हूँ सपनो की चादर न्यारी
ओढ़ कर सो जाऊंगा उस चादर को
शायद फिर से जी सकूँ वोह वक़्त इस बारी

- साहिल 

Friday, August 19, 2011

कौन है वोह शख्स!



कौन है वोह, कैसी ये आवाज़ है
जानता हूँ मैं शायद इसे
ऐसा ये एक एहसास है
चलता है साथ मेरे अक्सर
मेरा अक्स भी इसके पास है
आखिर कौन है ये शख्स
किसकी ये आवाज़ है

सब जान गया है वोह अब
मैं उससे अब भी कुछ अनजान हूँ
मेरे शक्शियत पर अब बस है उसका
मैं ये जान कर भी कुछ अनजान हूँ
खौफ लगता है मुझे अब खुद से
क्या ये मेरा ख्वाब है
आखिर कौन है वोह शख्स
किसकी मुझे तलाश है

पल पल बढ़ा है साथ मेरे
शायद उसको मेरी दरकार है
कल रात दर्पण में जब खुद को देखा
पता चला वोह तो मेरा अहंकार है
दू:स्वप्न हो वोह मेरा
इतनी अब मेरी मुराद है
आखिर मैं ही था वोह शख्स
मेरे अहंकार की वोह आवाज़ है

- साहिल 

Sunday, June 19, 2011

हो तुम मेरे बाबा!



कर्मठ तुम, तुम कर्म के ज्ञाता
धैर्यवान तुम, तुम धैर्य के दाता
त्यागी तुम, तुम कर्ण के भ्राता
जटिल तुम, तुमको जग समझ न पाता
बन जाऊ तुम सा एक दिन
ऐसी है मेरी एक छोटी सी आशा
मुन्ना तुम्हारा मैं, हो तुम मेरे बाबा

थे उंगली पकड़ कर साथ तुम वरना
जीवन की आपा-धापी में खो जाता मैं
फ़र्ज़ निभाना सीखा तुम से वरना
जीवन क संघर्षो में, टूट जाता मैं
प्रेरणा का अदभुत श्रोत हो तुम
ऐसे हो तुम मेरे बाबा
बन जाऊ तुम सा एक दिन
ऐसी है मेरी एक छोटी सी अभिलाषा
मुन्ना तुम्हारा मैं, हो तुम मेरे बाबा
मुन्ना तुम्हारा मैं, हो तुम मेरे बाबा

- साहिल 

Wednesday, May 18, 2011

न जाने ये क्या हो गया...



न जाने ये क्या हो गया,
खुली आखों से वो कब सो गया
अपनों के कितने करीब था कभी
न जाने किन रास्तो में वो खो गया
थक गयी है ये नज़रें उसकी या
मंजिल कही ओझल हो गया
न जाने ये क्या हो गया...

चल पड़ा आगे, न देखा मुड़ कर
रास्तों पर आशाएं सारे बो गया
मुद्दत से तलाश थी जिस मृगतृष्णा की
पहुचते ही न जाने वो कहा खो गया
न जाने ये क्या हो गया...

पल पल गुज़रती ज़िन्दगी उसकी
क्या वो इंसान पत्थर दिल हो गया
दम तोडा जिस मोड़ पर उसने
वो मोड़ मील का पत्थर हो गया
न जाने ये क्या हो गया
खुली आखों से वो कब सो गया!

- साहिल 

Sunday, May 8, 2011

जीवन मेरा सफल हो जाए



जीवन मेरा सफल हो जाए,
हर जनम में अगर तू मिल जाए|
ममता भरा आँचल मिल जाए,
लोरी सुन तेरी, नींद आ जाए|

जख्म पल में यूँ भर जाए,
देखू तुझे तो सुकून आ जाए|
मंदिर-मस्जिद हम सब हो आए,
पर सारे दर आखिर तुझ तक आये||

युग भले ही बदलता जाए,
माँ तेरी महिमा बढती जाए|
जीवन मेरा सफल हो जाए,
हर जनम में अगर तू मिल जाए||

- साहिल 

Thursday, May 5, 2011

बस इंतज़ार है उनका!



अपने हिस्से का प्यार संभाले बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
कभी मिलेंगे तो बताएँगे
कितना चाहा है हर दिन उनको

अपने हिस्से की आस लगाये बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
कभी मिलेंगे तो बताएँगे
कितना सताया है हर दिन मुझको

अपने हिस्से का ग़म लिए बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
पता है शायद साकी को
हर जाम बिना पूछे भर जाती है वोह

हर हिस्सा अधूरा है मेरा
अब बस इंतज़ार है उनका,
शायद पता है ये उन्हें
इसलिए पलकों की कतारें भीगा जाती है वोह!

- साहिल 

Friday, March 18, 2011

आओ खेले होली के रंग...



गयी शिशिर आई बसंत,
गयी ठिठुरन आई हुडदंग,
बच्चे बूढ़े हुए सब दबंग,
भूले शिकवे मिले सब संग,

उड़े गुलाल बहे हर रंग,
उडाओ अबीर अंजानो के संग,
मिलाओ प्यार रंग के संग,
लगाओ ठहाके पीकर भांग,

हर दूरी होगी आज कम,
आओ खेले होली के रंग...

- साहिल 

Tuesday, March 8, 2011

हे नारी तुझे शत शत नमन!



उर्जा का श्रोत हो तुम
चंचल नदी सा तुम्हारा मन
नभ सा असीम स्नेह है तुम्हारा
करे हर होई तुम्हारा मनन

निहारिका हो खुशियों का
मोह लेती हो तुम सबका मन
आसान कर देती हो मुश्किले
दे कर मुस्कुराहटें अनंत

धन्य है तुम्हे पाकर हर मानुस
हे नारी तुझे शत शत नमन !

- साहिल 

Thursday, March 3, 2011

न होती तुम तो मैं न होता...



न होती तुम तो मैं न होता
न जागती तुम तो मैं न सोता
सुकून था तेरे आँचल में हमेशा
न होती तुम तो मैं था रोता

हर शब्द दुआ है तुम्हारी
हर स्पर्श दवा है तुम्हारी
गिर कर हमेशा मैं न संभलता
न होती तुम तो मैं न होता

हर साँसे मेरी तुम से ही चलती
हर बातें मेरी तुम पर ही रूकती
हर बातें मेरी कौन था सुनता
न होती तुम तो मैं न होता

चली गयी तुम, न रोक पाया तुम्हे
खो गयी तुम, न खोज पाया तुम्हे
खुदा भी रोया, न रोक पाया खुद को
जो होती तुम तो वो न रोता

- साहिल 

Wednesday, February 2, 2011

लम्हों के प्याले...



चंद लम्हों की डोर से जुडी है ज़िन्दगी
चंद लम्हों के ओर यूँ झुकी है ज़िन्दगी!
हर लम्हों को प्याले में उतार दे ए साकी
अब तो मैकदे की और मुड़ी है ज़िन्दगी!

- साहिल 

Sunday, January 9, 2011

न होता मैं, तो क्या होता!

न था जब मैं, तो क्या था
जो हूँ अब मैं, तो क्या होगा!
गुल फिरदौस में तो अब भी खिलते है
न रहूँ जब मैं तो क्या वो गुलिस्तान होगा!

जो हूँ अब मैं तो सब रहनुमा है मेरे
न होता मैं तो क्या होता!

अब भी याद आता है साहिल!
तेरे बातों पर उसका यों कह देना
जो हूँ अब मैं, तो जग है मेरा
न होता मैं, तो क्या होता!

- साहिल 

Tuesday, January 4, 2011

२०११: एक नयी उम्मीद!

पौ फटा और नयी सुबह ने आग़ाज़ किया,
उंदी-मुंदी पलकों ने हल्का सा ये एहसास किया
नयी रौशनी नयी आशाएं भर कर आई है
हमने इस वर्ष को नयी उम्मीदों के नाम किया !

- साहिल