Friday, August 19, 2011

कौन है वोह शख्स!



कौन है वोह, कैसी ये आवाज़ है
जानता हूँ मैं शायद इसे
ऐसा ये एक एहसास है
चलता है साथ मेरे अक्सर
मेरा अक्स भी इसके पास है
आखिर कौन है ये शख्स
किसकी ये आवाज़ है

सब जान गया है वोह अब
मैं उससे अब भी कुछ अनजान हूँ
मेरे शक्शियत पर अब बस है उसका
मैं ये जान कर भी कुछ अनजान हूँ
खौफ लगता है मुझे अब खुद से
क्या ये मेरा ख्वाब है
आखिर कौन है वोह शख्स
किसकी मुझे तलाश है

पल पल बढ़ा है साथ मेरे
शायद उसको मेरी दरकार है
कल रात दर्पण में जब खुद को देखा
पता चला वोह तो मेरा अहंकार है
दू:स्वप्न हो वोह मेरा
इतनी अब मेरी मुराद है
आखिर मैं ही था वोह शख्स
मेरे अहंकार की वोह आवाज़ है

- साहिल 

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