Monday, May 21, 2012

तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है!



आज ख़फा होने की कोशिश पूरी है
तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है

कुर्बते बीच बनानी आज थोड़ी दूरी है
नज़रो से ग़ाज गिराने भी जरुरी है

अदाओ से होगा कत्ले-आम आज
थोडा घबराना मेरा भी ज़रूरी है

हम तो कब के मघ्लूब हुए बैठे है साहिल
अब बस उनके एक मुस्कुराने की देरी है

- साहिल 

Sunday, May 13, 2012

कुछ ऐसे हो मेरे करम!



अच्छे रहे होंगे, ऐसे कुछ मेरे करम
जो तेरी कोख से, हुआ मेरा जनम

रहबर बन हमेशा, सवारे मेरे करम
करुना ममता ने धोये मेरे सारे ग़म

खुदा हो तुम मेरे, नहीं है ये मेरा भरम
जख्म भर जाए, स्पर्श तुम्हारा एक मरहम

मिलो हर जनम में, बनकर मेरी माँ
अब बस दुआ है इतनी, कुछ ऐसे हो मेरे करम

- साहिल