Wednesday, May 18, 2011

न जाने ये क्या हो गया...



न जाने ये क्या हो गया,
खुली आखों से वो कब सो गया
अपनों के कितने करीब था कभी
न जाने किन रास्तो में वो खो गया
थक गयी है ये नज़रें उसकी या
मंजिल कही ओझल हो गया
न जाने ये क्या हो गया...

चल पड़ा आगे, न देखा मुड़ कर
रास्तों पर आशाएं सारे बो गया
मुद्दत से तलाश थी जिस मृगतृष्णा की
पहुचते ही न जाने वो कहा खो गया
न जाने ये क्या हो गया...

पल पल गुज़रती ज़िन्दगी उसकी
क्या वो इंसान पत्थर दिल हो गया
दम तोडा जिस मोड़ पर उसने
वो मोड़ मील का पत्थर हो गया
न जाने ये क्या हो गया
खुली आखों से वो कब सो गया!

- साहिल 

Sunday, May 8, 2011

जीवन मेरा सफल हो जाए



जीवन मेरा सफल हो जाए,
हर जनम में अगर तू मिल जाए|
ममता भरा आँचल मिल जाए,
लोरी सुन तेरी, नींद आ जाए|

जख्म पल में यूँ भर जाए,
देखू तुझे तो सुकून आ जाए|
मंदिर-मस्जिद हम सब हो आए,
पर सारे दर आखिर तुझ तक आये||

युग भले ही बदलता जाए,
माँ तेरी महिमा बढती जाए|
जीवन मेरा सफल हो जाए,
हर जनम में अगर तू मिल जाए||

- साहिल 

Thursday, May 5, 2011

बस इंतज़ार है उनका!



अपने हिस्से का प्यार संभाले बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
कभी मिलेंगे तो बताएँगे
कितना चाहा है हर दिन उनको

अपने हिस्से की आस लगाये बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
कभी मिलेंगे तो बताएँगे
कितना सताया है हर दिन मुझको

अपने हिस्से का ग़म लिए बैठे है
बस इंतज़ार है उनका,
पता है शायद साकी को
हर जाम बिना पूछे भर जाती है वोह

हर हिस्सा अधूरा है मेरा
अब बस इंतज़ार है उनका,
शायद पता है ये उन्हें
इसलिए पलकों की कतारें भीगा जाती है वोह!

- साहिल