Wednesday, September 19, 2012

गणपति बाप्पा जो आये है!



भोले के पुत्र, पार्वती के लल्ला
मुसे में बिराजे आये है
जो हर यज्ञ में पूजे जाते हो पहिला
वो समृधि के बटैया आये है
जो विघ्न हर, करते सब का भला
वो पांडित्य का पिटारा लाये है
होगा अब हर मोहल्ले हल्ला
गणपति बाप्पा जो आये है!

- साहिल 

Saturday, September 15, 2012

मिली न जो मंजिल...



मिली न जो मंजिल तो किस्मत को कोस दिया
जहाँ कश्ती डूबी वहाँ समंदर को दोष दिया
क्यों नहीं चलते लोग हर पल संभलकर
जब भी ठोकर लगी तो उस पत्थर को दोष दिया

हुई खुद से जो गलती तो औरो को दोष दिया
हर हालात को अपने वक़्त पर छोड़ दिया
क्यों नहीं चलते लोग हर वक़्त परख कर
विगति से रु-बी-रु पर ऊपर वाले को कोस दिया

जीवन बीती निर्जीव चीजों को हर पल दोष देते
न थी हिम्मत तो हवाओं का क्यों विरोध किया
नित्य कर्म से अपने बनो तुम सिकंदर
कोरे हाथों में जिसने अपनी किस्मत गोद दिया

- साहिल 

Tuesday, September 11, 2012

शबनम की एक बूँद ही पिला दे...



शबनम की एक बूँद ही पिला दे
एक अर्से से हम यूँ प्यासे है
समंदर में भी हम प्यासे रह गए
कदर उस ओस की आज हम जाने है

कोई हमारा आज मेहमान हो जाए
तन्हाई में वक़्त हम यूँ बिताये है
मेले में भी हम तनहा से रह गए
कदर उस शख्स की अब हम जाने है

हमसे भी कोई आज मशवरा कर ले
हर मोड़ पर हम यूँ ठोकर खाए है
अगर आज किसी के काम आ जायें
तो कदर हमारी भी कोई जाने है.

- साहिल 

Sunday, September 2, 2012

आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये...



आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये
यादों का बादल है, भीग ही जायेंगी ये आँखे
तस्वीरे बिखरी है, वक़्त के पहिये यूँ घूमें
भूले नहीं भुला कभी, ऐसी तेरी है कुछ बातें
उलझे है कुछ धागे, ऐसी लगी है कुछ गाठें
सुलझाने की कोशिश में, मजबूत हुई वो गाठें

सांझ ढल रही है, तुम क्यों यूँ याद आये
साँसें थम गयी है, धड़कन भी रुक सी जाए
तारों में चेहरा तेरा, उनमे कही मैं खो गया
जख्म मेरे मिट से गए, वक़्त भी मरहम हो गया
तोड़े कभी टूटे नहीं, ऐसी दी तुने कुछ यादें
मिटाने की कोशिश में, गहरी हो गयी वो यादें

आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये
यादों का बादल है, भीग ही जायेंगी ये आँखे

- साहिल