Sunday, September 2, 2012

आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये...



आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये
यादों का बादल है, भीग ही जायेंगी ये आँखे
तस्वीरे बिखरी है, वक़्त के पहिये यूँ घूमें
भूले नहीं भुला कभी, ऐसी तेरी है कुछ बातें
उलझे है कुछ धागे, ऐसी लगी है कुछ गाठें
सुलझाने की कोशिश में, मजबूत हुई वो गाठें

सांझ ढल रही है, तुम क्यों यूँ याद आये
साँसें थम गयी है, धड़कन भी रुक सी जाए
तारों में चेहरा तेरा, उनमे कही मैं खो गया
जख्म मेरे मिट से गए, वक़्त भी मरहम हो गया
तोड़े कभी टूटे नहीं, ऐसी दी तुने कुछ यादें
मिटाने की कोशिश में, गहरी हो गयी वो यादें

आज आँखे नम है, तुम क्यों यूँ याद आये
यादों का बादल है, भीग ही जायेंगी ये आँखे

- साहिल 

3 comments: