Monday, May 21, 2012

तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है!



आज ख़फा होने की कोशिश पूरी है
तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है

कुर्बते बीच बनानी आज थोड़ी दूरी है
नज़रो से ग़ाज गिराने भी जरुरी है

अदाओ से होगा कत्ले-आम आज
थोडा घबराना मेरा भी ज़रूरी है

हम तो कब के मघ्लूब हुए बैठे है साहिल
अब बस उनके एक मुस्कुराने की देरी है

- साहिल 

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