Wednesday, September 29, 2010

अल्लाह-राम!

क्या हिन्दू क्या मुसलमान
सब दाता के एक ही नाम
फर्क नहीं पड़ता उनको
जिनके मन में बसते है राम

क्या मंदिर क्या मस्जिद
फ़रियाद सबकी एक सामान
डर नहीं लगता उनको
जिनकी रूह अल्लाह के है नाम

देखो उन परिंदों को जो अपने पंख है फैलाये
जाने अनजाने हर मंदिर हर मस्जिद हो आये
मिल आये हर पंडित मौलवी
फर्क न देखा उन्होंने ऐसी बात हमे है बताये
अच्छी हमसे जात है उनकी
अल्लाह-राम एक कर आये...

-साहिल 

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