Sunday, September 12, 2010

अनजाने सपने!

झुका लो ये पलके, सपने नए बोने को.
सुबह कर रही है इंतज़ार, कुछ अनजाने अपने होने को...
शब्बा खैर दोस्तों!!

-साहिल

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