Monday, October 25, 2010

एक तजुर्बा ऐसा भी!

हुई सुबह और जहन में एक ख़्याल आया,
हुई आखें नम और दिल में एक सैलाब आया!
डूब गया साहिल न मिल पाया किनारा उसे
हसती आखों ने आज रोने का भी तजुर्बा पाया!

- साहिल 

5 comments:

  1. बहुत खूब बंधू .. एकदम दिल को छूने वाली पंक्तिया है ... और एक यथार्थ भी ....


    best wishes
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  2. Thi vo raat jab mere jahan mai khayal aaya
    Hindi ki ek "vo" line ko padh k jane dil mai kya aaya
    Nikal padi karne ko jo chan bin
    Paaya ki Sahil k piche hi hai Swap humara

    Ye bhi ek naya Tarjuba aaj meine hai paya... :)


    Chicks...

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  3. @Vikash: धन्यवाद् दोस्त... वैसे यथार्त वही है जो कभी चरितार्थ हुआ करता था ;)

    @Neha: आपके इस शायराना अंदाज़ ने हमे मंत्रमुग्ध कर दिया.. कृपया इस पृष्ट पर ध्यान दे
    http://sahilkesahil.blogspot.com/p/blog-page_08.html

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  4. साहिल,
    बढिया..बहोत गहराइया छू लेती है ये पंक्तिया..

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