तीर से न तलवार से,
मरेगा न ये वार से,
कोई खोजो राम को,
खो गया जो जान के
बदल रहे कुछ लोग है,
रावण बनते हर रोज वे
कहाँ मेरा राम है?
जान कर जो अनजान है
बदला रावण हर युग में
बदल न पाया राम रे
आज चेहरे कई है रावण के
और एक बेचारा मेरा राम रे
कैसे किसका मैं वध करू
वोह भी यूँ कुछ हैरान है
सीता की इज्ज़त दावं पर नहीं
शायद वोह भी इसलिए शांत है
मरेगा न ये वार से,
कोई खोजो राम को,
खो गया जो जान के
बदल रहे कुछ लोग है,
रावण बनते हर रोज वे
कहाँ मेरा राम है?
जान कर जो अनजान है
बदला रावण हर युग में
बदल न पाया राम रे
आज चेहरे कई है रावण के
और एक बेचारा मेरा राम रे
कैसे किसका मैं वध करू
वोह भी यूँ कुछ हैरान है
सीता की इज्ज़त दावं पर नहीं
शायद वोह भी इसलिए शांत है
- साहिल
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