गयी शिशिर आई बसंत,
गयी ठिठुरन आई हुडदंग,
बच्चे बूढ़े हुए सब दबंग,
भूले शिकवे मिले सब संग,
उड़े गुलाल बहे हर रंग,
उडाओ अबीर अंजानो के संग,
मिलाओ प्यार रंग के संग,
लगाओ ठहाके पीकर भांग,
हर दूरी होगी आज कम,
आओ खेले होली के रंग...
गयी ठिठुरन आई हुडदंग,
बच्चे बूढ़े हुए सब दबंग,
भूले शिकवे मिले सब संग,
उड़े गुलाल बहे हर रंग,
उडाओ अबीर अंजानो के संग,
मिलाओ प्यार रंग के संग,
लगाओ ठहाके पीकर भांग,
हर दूरी होगी आज कम,
आओ खेले होली के रंग...
- साहिल