Friday, December 3, 2010

मृग तृष्णा की मुझे तलाश है!

दूर हो कर भी करीब हो मेरे,
कैसा ये एहसास है.
बारिश में भी प्यासा हूँ
कैसी मेरी प्यास है!

तुम खुशबू बन उड़ जाओगी
मैं कुछ भी न कर पाउँगा
हाथ फैला कर छु लू तुम्हे
अब बस इतनी सी आस है

हूँ हकीकत से रु-ब-रु मैं
अब बस वोह लम्हे मेरे पास है
जाने किस सोच मे डूबा हूँ मैं
मृग तृष्णा की शायद मुझे तलाश है!

- साहिल 

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