आज ख़फा होने की कोशिश पूरी है
तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है
कुर्बते बीच बनानी आज थोड़ी दूरी है
नज़रो से ग़ाज गिराने भी जरुरी है
अदाओ से होगा कत्ले-आम आज
थोडा घबराना मेरा भी ज़रूरी है
हम तो कब के मघ्लूब हुए बैठे है साहिल
अब बस उनके एक मुस्कुराने की देरी है
तबस्सुम दबाने की कोशिश अधूरी है
कुर्बते बीच बनानी आज थोड़ी दूरी है
नज़रो से ग़ाज गिराने भी जरुरी है
अदाओ से होगा कत्ले-आम आज
थोडा घबराना मेरा भी ज़रूरी है
हम तो कब के मघ्लूब हुए बैठे है साहिल
अब बस उनके एक मुस्कुराने की देरी है
- साहिल