Wednesday, February 13, 2013

न समझ पाया जो ढाई आखर को...



प्यार की कोई छोर नहीं
बांध पाए ऐसी कोई डोर नहीं
मिल ही जाते है प्यार करने वाले
किस्मत पर किसी का यूँ जोर नहीं

समझ जाती है दुनिया सारी
स्नेह की ऐसी कोई बोल नहीं
न समझ पाया जो ढाई आखर को
जीवन में उस के समझो हुई भोर नहीं

हर तरफ प्यार यूँ है समाया
क्यूँ देखा नहीं आँखें खोल कभी
जख्म है तो वोह भी भर जायेगा
प्यार के मरहम का कोई तोड़ नहीं

- साहिल