ज़िन्दगी जीने के लिए, मौत समझना पड़े.
ऐसी ये हालत क्यूँ है?
मोहब्बत समझने के लिए, चोट खानी पड़े.
ऐसी ये कहावत क्यूँ है?
अमन से जीने के लिए, जंग लड़नी पड़े.
ऐसी ये प्रथा क्यूँ है?
सच कहने पर, हलक गवानी पड़े.
ऐसी ये दहशत क्यूँ है?
थक गए नैसर्गिक अधिकार के लिए लड़ते लड़ते
अगर ऐसी ही ये दुनिया है, तो ये दुनिया क्यूँ है?
ऐसी ये हालत क्यूँ है?
मोहब्बत समझने के लिए, चोट खानी पड़े.
ऐसी ये कहावत क्यूँ है?
अमन से जीने के लिए, जंग लड़नी पड़े.
ऐसी ये प्रथा क्यूँ है?
सच कहने पर, हलक गवानी पड़े.
ऐसी ये दहशत क्यूँ है?
थक गए नैसर्गिक अधिकार के लिए लड़ते लड़ते
अगर ऐसी ही ये दुनिया है, तो ये दुनिया क्यूँ है?
- साहिल